मनोज राम-हिंदी साहित्य जगत के पितामह, उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर कोटि कोटि नमन

"विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई स्कुल आज तक नहीं खुला और न ही खुलेगा.."

अपने कुशल लेखन से समाज में व्याप्त समस्याओं और कुरीतियों पर चोट करने वाले आधुनिक हिंदी के पितामह मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर विनम्र अभिनंदन. 

मुंशी प्रेमचंद भारतीय साहित्य का एक ऐसा नाम है, जिसने अपनी कलम से वास्तविकता रची. कलम के जादूगर माने जाने वाले मुंशी प्रेमचंद आज ही के दिन वर्ष 1880 को बनारस से चार मील दूर लमही गांव के एक साधारण से परिवार में जन्में और हिंदी साहित्य जगत को अपने अगाध साहित्य का खजाना दिया. एक दर्जन से अधिक उपन्यास और 250 से ज्यादा कहानियां लिखने वाले मुंशी जी की हिंदी के अलावा उर्दू, फारसी और अंग्रेजी पर गजब की पकड़ थी. "गोदान", "रंगभूमि", "गबन", "सोजे वतन", "पूस की रात" इत्यादि जैसे अनेकों नायाब रचनात्मक नगीने वह हम सभी देशवासियों को देकर गए, जिन्होंने मुंशी जी को अमर कर दिया. 

गांव, गरीब और किसान के मर्म को अपनी लेखनी में यथार्थ रूप से उतारने वाले ऐसे महान लेखन को भारत भूमि का जन जन सदैव याद रखेगा. कलम के खिलाडी, भारत माता के सच्चे सपूत मुंशी प्रेमचंद को उनकी जयंती के अवसर पर सादर नमन..!! 

 

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