मनोज राम-विनोबा भावे जी की जयंती पर शत-शत नमन

किसी भी व्यक्ति के लिए साक्षर होना शिक्षा का प्रथम पायदान है, जिससे वह योग्यता और विचार-विमर्श की तार्किक शक्ति को प्राप्त करता है. शिक्षा से आई समझ और योग्यता व्यक्ति को एक महान समाज और एक महानतम राष्ट्र की रचना में सहभागीदार बनाती है. आज विश्व साक्षरता दिवस है और देश के नागरिकों से यह अपील है कि वें स्वयं भी शिक्षित हों और अपने आस पास यदि किसी निरक्षर को देखें तो उसे भी साक्षर बनाने में योगदान दें. 

मनोज राम-विनोबा भावे जी की जयंती पर   शत-शत नमन -किसी भी व्यक्ति के लिए साक्षर होना शिक्षा का प्रथम

क्यों मनाया जाता है साक्षरता दिवस 

विश्व साक्षरता दिवस की पहल करने का श्रेय यूनेस्को को जाता है, जिसने 25 अक्टूबर 1966 को वैश्विक अशिक्षा को दूर करने और शिक्षा के जरिये समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए विश्व साक्षरता दिवस मनाने का निश्चय किया. मूल रूप से इस दिवस को मनाने का विचार 1965 में तेहरान में हुयी शिक्षा मंत्रियों की बैठक से आया था, जिसे स्वीकृति यूनेस्को द्वारा मिली. यूनेस्को द्वारा विश्व साक्षरता दिवस को हर वर्ष एक नयी थीम के साथ मनाया जाता है. इस बार कोविड 19 के खतरे को देखते हुए यह थीम  "साक्षरता शिक्षण और कोविड -19  : संकट और उसके बाद" रखी गयी है. 

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वर्ष 2020 शिक्षा के लिहाज से भी काफी चैलेंजिंग रहा है, पहले वयस्कों के लिए चलाये जाने वाले कार्यक्रमों पर भी महामारी का असर देखा गया और उन्हें भी बंद करना पड़ा, ठीक वैसे ही जैसे स्कूल और कॉलेज अभी बंद हैं या ऑनलाइन शिक्षण पद्धति का सहारा ले रहे हैं. हालांकि संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से शिक्षा के मुद्दे को लेकर बहुत से ऑनलाइन सेमिनार क्रियान्वित किये जा रहे हैं.   

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